आज हम बात करेंगे जमुई जिले की झाझा विधानसभा की।झाझा विधानसभा झाझा,गिद्धौर व बरहट सी डी ब्लॉक से मिलकर बना है।इस विधानसभा से भाजपा के डॉ रविन्द्र यादव विधायक हैं।2015 के महागठबंधन लहर में भी इन्होंने जदयू के उम्मीदवार व तीन बार विधायक व मंत्री रहे दामोदर रावत को लगभग वोटों से हराकर यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी थी।इसके पूर्व डॉ रविन्द्र यादव कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर भी झाझा विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।झाझा को मुख्यतौर पर लोको शेड की वजह से जाना जाता है यहां की अर्थव्यवस्था में रेलवे लोकोशेड का मुख्य योगदान था।रेलवे के आधुनिकीकरण की वजह से अब पहले जितने कर्मचारी नहीं रहे।पहले झाझा रेल मार्ग से सुगमता से जुड़ा हुआ था परन्तु नीतीश कुमार के कार्यकाल में यहां का सड़क सम्पर्क भी बेहतर हुआ है।झाझा से अब सड़क मार्ग द्वारा आसानी से जमुई,देवघर व मुंगेर पहुंचा जा सकता है।सड़क की बात छोड़ दें तो यह क्षेत्र अभी भी पिछड़ा हुआ है।
झाझा विधानसभा में समाजवादियों की पैठ भी रही है।पूर्व में समाजवादी नेता श्री कृष्ण सिंह शिवनन्दन झा यहां का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।हालांकि लालू प्रसाद के उभार के पहले कांग्रेस ने भी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है।
झाझा विधानसभा के कुछ पंचायत नक्सल प्रभावित रहे हैं हालांकि नीतीश कुमार के विकास कार्यों की वजह से नक्सली आंदोलन काफी कमजोर हुआ है।
आगाम चुनावों के मद्देनजर नेताओं का चुनावी दौरा व जन सम्पर्क अभियान शुरू हो चुका है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने झाझा व चकाई विधानसभा के भाजपा के कोटे में रहने की बात कहकर जदयू व लोजपा कार्यकर्ताओं के मन में थोड़ी मायूसी भर दी है।2005 से लगातार 4 बार इस सीट पर जदयू के कब्जा था इस नाते जदयू की भी स्वाभाविक दावेदारी बनती है।लेकिन अभी भाजपा के सिटिंग विधायक होने की वजह से भाजपा की दावेदारी मजबूत है।सबकुछ ठीक रहा तो भाजपा से डर रविन्द्र यादव ही उम्मीदवार होंगे।महागठबंधन में यह सीट राजद या कांग्रेस के खाते में जाएगी।अभी चुनाव की सरगर्मी कार्यकर्ता स्तर तक ही पहुंची है तो अगले चुनाव का आकलन सटीक तौर पर नहीं किया जा सकता।