मेडिकल कॉलेज के 35 डॉक्टरों कोे शोकॉज 25 ने जवाब न देकर प्राचार्य से की अभद्रता

मधेपुरा स्थित मेडिकल कॉलेज में अक्सर बताया जाता है कि संसाधनों की कमी है। लेकिन जमीनी सच्चाई इससे अलग है। दैनिक भास्कर ने जब लगातार पड़ताल कर खबर प्रकाशित किया तो पता चला कि यहां पदस्थापित बड़ी संख्या में डॉक्टर इलाज करने नियमित आते ही नहीं हैं। प्राचार्य डॉ. गौरीकांत मिश्र ने 16 अक्टूबर को विभिन्न विभागों का निरीक्षण किया।

इस दौरान सच्चाई खुलकर सामने आ गई और दैनिक भास्कर की खबर पर मुहर भी लग गई। दरअसल 16 अक्टूबर को विभिन्न विभागों के एक-दो नहीं कुल 35 डॉक्टर अनुपस्थित पाए गए। इनमें कुछ डॉक्टर ऐसे भी थे, जो कई दिनाें से बिना पर्याप्त कारण और सूचना के अनुपस्थित थे। इन सबों से जैसे ही प्राचार्य ने शोकॉज पूछा, बवाल मच गया।

सूत्र बताते हैं कि अनुपस्थित डॉक्टरों को जब शोकॉज पूछे जाने की खबर मिली तो कई डॉक्टर पहुंचे और प्राचार्य के पास हेकड़ी जमाते हुए अभद्रता भी की। जानकारों की माने तो डाॅक्टरों व प्राचार्य के बीच का झगड़ा इतना बढ़ गया था कि प्राचार्य को किसी तरह गार्डों के सहयोग से बचाया गया। अगर गार्ड ने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया होता तो मामला काफी गंभीर ही नहीं, प्राचार्य के साथ बड़ी घटना घट सकती थी।

माफ कीजिएगा डॉक्टर साहब, 800 करोड़ की लागत से मधेपुरा में मेडिकल काॅलेज इसलिए नहीं खोला गया कि आप यहां से अनुपस्थित रहकर भी वेतन पाएं और बीमार मरीज घंटों आपकी प्रतीक्षा कर बिना इलाज कराए लौट जाएं। अनुपस्थित डॉक्टरों से मात्र 24 घंटे में शोकॉज का जवाब मांगा गया था। लेकिन अब तक मात्र 10 डॉक्टर ने ही जवाब दिया है।
28 सितंबर से अनुपस्थित थे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमेश कुमार
बताया गया कि शिशु विभाग के डॉक्टर उमेश कुमार 28 सितंबर से से ही अनुपस्थित थे। स्त्री रोग विभाग की डॉक्टर परवेज हयात, डॉ. मृत्युंजय कुमार, डॉ. शिवांगी रंजनी, मो. सहाबुद्दीन, नेता नेहा, डॉ. दीपक, डॉ. पंकज, सुशील, डॉ. मृत्यंजय आजाद, डॉ. सुनील 14 से 16 अक्टूबर तक अनुपस्थित थे।

जबकि शिशु रोग विभाग के सह प्राध्यापक समेत 5, पीएसएम के एक, स्त्री रोग एवं प्रसव के 2, नेत्र रोग विभाग के सहायक प्राध्यापक समेत 4, औषधि विभाग के सह प्राध्यापक समेत 4, रेडियोलॉजी के एक, सर्जरी के सहायक प्राध्यापक समेत 4, हड्‌डी रोग विभाग के 3, फिजियोलॉजी विभाग के 3, फार्माकोलॉजी विभाग के 2, एफएमटी के 2, बायोकेमेस्ट्री के एक, पीएसएम के एक, एनाटोमी के एक डाक्टर ड्यूटी से नदारद थे।
कॉलेज की स्थिति नहीं सुधरी तो विभाग को लिखा जाएगा पत्र
प्राचार्य डॉ. गौरीकांत मिश्रा ने बताया कि 16 अक्टूबर को जिन 35 डाॅक्टरों के खिलाफ शोकाॅज पूछा गया था, उसमें केवल 10 ने जवाब दिया है। उसपर भी एक-दो को छोड़ किसी ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। उन्होंने बताया कि मैंने दो दिन पूर्व की घटना के बाद सभी विभाग के एचओडी के साथ स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक की थी।

लेकिन वह भी बेनतीजा निकाली। उसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। जबकि इस मामले में मुझे हर दिन 10 से 15 शिकायतें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि बिना चिकित्सकों के सहयोग से ओपीडी नहीं चलाया जा सकता है। दशहरा के बाद स्थिति की समीक्षा के बाद विभाग को इस संदर्भ में पत्र लिखा जाएगा।

मेडिकल कॉलेज के इन डॉक्टरों से पूछा गया है स्पष्टीकरण
डॉ. विपिन कुमार वर्मा, डॉ. श्रीकांत पांडे, डॉ. उमेश कुमार, डॉ. एलके लक्ष्मण, डॉ. अमृतेश कुमार, डॉ विपिन कुमार, डॉ. इरशाद आलम, डॉ. कमलिनी से शोकॉज पूछा गया है। इसके अलावा डॉ. परवेज हयात, विनोद कुमार, शिव कुमार, मृत्युंजय कुमार, शिवांगी रंजनी, पंकज मोहन श्रीवास्तव, वीरेंद्र कुमार, अभिषेक आनंद, संजीव कुमार, मो. शहाबुद्दीन, डॉ. गणेश कुमार, डॉ. नीति नेहा भी हैं। जबकि डॉ. संजीव कुमार, डॉ. केशव कुमार, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. सुशील कुमार सिंह, डॉ. मालती कुमारी, डॉ. मृत्युंजय आजाद, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. लक्ष्मण कुमार, इकबाल हुसैन, अनिल शांडिल्य सहित अन्य हैं।

चिकित्सकों के अनुपस्थित रहने के लगातार आ रही शिकायत के बाद मैंने 16 अक्टूबर को निरीक्षण किया। इस दौरान 35 डॉक्टर अनुपस्थित पाए गए थे। अनुपस्थित तिथि का वेतन रोकते हुए उन लोगों से शोकॉज पूछा गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। -गौरीकांत मिश्रा, प्राचार्य, जेएनकेटीएमसीएच, मधेपुरा



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Shockage 25 to 35 doctors of medical college did not answer, indecency with principal
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मधेपुरा स्थित मेडिकल कॉलेज में अक्सर बताया जाता है कि संसाधनों की कमी है। लेकिन जमीनी सच्चाई इससे अलग है। दैनिक भास्कर ने जब लगातार पड़ताल कर खबर प्रकाशित किया तो पता चला कि यहां पदस्थापित बड़ी संख्या में डॉक्टर इलाज करने नियमित आते ही नहीं हैं। प्राचार्य डॉ. गौरीकांत मिश्र ने 16 अक्टूबर को विभिन्न विभागों का निरीक्षण किया।

इस दौरान सच्चाई खुलकर सामने आ गई और दैनिक भास्कर की खबर पर मुहर भी लग गई। दरअसल 16 अक्टूबर को विभिन्न विभागों के एक-दो नहीं कुल 35 डॉक्टर अनुपस्थित पाए गए। इनमें कुछ डॉक्टर ऐसे भी थे, जो कई दिनाें से बिना पर्याप्त कारण और सूचना के अनुपस्थित थे। इन सबों से जैसे ही प्राचार्य ने शोकॉज पूछा, बवाल मच गया।

सूत्र बताते हैं कि अनुपस्थित डॉक्टरों को जब शोकॉज पूछे जाने की खबर मिली तो कई डॉक्टर पहुंचे और प्राचार्य के पास हेकड़ी जमाते हुए अभद्रता भी की। जानकारों की माने तो डाॅक्टरों व प्राचार्य के बीच का झगड़ा इतना बढ़ गया था कि प्राचार्य को किसी तरह गार्डों के सहयोग से बचाया गया। अगर गार्ड ने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया होता तो मामला काफी गंभीर ही नहीं, प्राचार्य के साथ बड़ी घटना घट सकती थी।

माफ कीजिएगा डॉक्टर साहब, 800 करोड़ की लागत से मधेपुरा में मेडिकल काॅलेज इसलिए नहीं खोला गया कि आप यहां से अनुपस्थित रहकर भी वेतन पाएं और बीमार मरीज घंटों आपकी प्रतीक्षा कर बिना इलाज कराए लौट जाएं। अनुपस्थित डॉक्टरों से मात्र 24 घंटे में शोकॉज का जवाब मांगा गया था। लेकिन अब तक मात्र 10 डॉक्टर ने ही जवाब दिया है।
28 सितंबर से अनुपस्थित थे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उमेश कुमार
बताया गया कि शिशु विभाग के डॉक्टर उमेश कुमार 28 सितंबर से से ही अनुपस्थित थे। स्त्री रोग विभाग की डॉक्टर परवेज हयात, डॉ. मृत्युंजय कुमार, डॉ. शिवांगी रंजनी, मो. सहाबुद्दीन, नेता नेहा, डॉ. दीपक, डॉ. पंकज, सुशील, डॉ. मृत्यंजय आजाद, डॉ. सुनील 14 से 16 अक्टूबर तक अनुपस्थित थे।

जबकि शिशु रोग विभाग के सह प्राध्यापक समेत 5, पीएसएम के एक, स्त्री रोग एवं प्रसव के 2, नेत्र रोग विभाग के सहायक प्राध्यापक समेत 4, औषधि विभाग के सह प्राध्यापक समेत 4, रेडियोलॉजी के एक, सर्जरी के सहायक प्राध्यापक समेत 4, हड्‌डी रोग विभाग के 3, फिजियोलॉजी विभाग के 3, फार्माकोलॉजी विभाग के 2, एफएमटी के 2, बायोकेमेस्ट्री के एक, पीएसएम के एक, एनाटोमी के एक डाक्टर ड्यूटी से नदारद थे।
कॉलेज की स्थिति नहीं सुधरी तो विभाग को लिखा जाएगा पत्र
प्राचार्य डॉ. गौरीकांत मिश्रा ने बताया कि 16 अक्टूबर को जिन 35 डाॅक्टरों के खिलाफ शोकाॅज पूछा गया था, उसमें केवल 10 ने जवाब दिया है। उसपर भी एक-दो को छोड़ किसी ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। उन्होंने बताया कि मैंने दो दिन पूर्व की घटना के बाद सभी विभाग के एचओडी के साथ स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक की थी।

लेकिन वह भी बेनतीजा निकाली। उसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। जबकि इस मामले में मुझे हर दिन 10 से 15 शिकायतें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि बिना चिकित्सकों के सहयोग से ओपीडी नहीं चलाया जा सकता है। दशहरा के बाद स्थिति की समीक्षा के बाद विभाग को इस संदर्भ में पत्र लिखा जाएगा।

मेडिकल कॉलेज के इन डॉक्टरों से पूछा गया है स्पष्टीकरण
डॉ. विपिन कुमार वर्मा, डॉ. श्रीकांत पांडे, डॉ. उमेश कुमार, डॉ. एलके लक्ष्मण, डॉ. अमृतेश कुमार, डॉ विपिन कुमार, डॉ. इरशाद आलम, डॉ. कमलिनी से शोकॉज पूछा गया है। इसके अलावा डॉ. परवेज हयात, विनोद कुमार, शिव कुमार, मृत्युंजय कुमार, शिवांगी रंजनी, पंकज मोहन श्रीवास्तव, वीरेंद्र कुमार, अभिषेक आनंद, संजीव कुमार, मो. शहाबुद्दीन, डॉ. गणेश कुमार, डॉ. नीति नेहा भी हैं। जबकि डॉ. संजीव कुमार, डॉ. केशव कुमार, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. सुशील कुमार सिंह, डॉ. मालती कुमारी, डॉ. मृत्युंजय आजाद, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. लक्ष्मण कुमार, इकबाल हुसैन, अनिल शांडिल्य सहित अन्य हैं।

चिकित्सकों के अनुपस्थित रहने के लगातार आ रही शिकायत के बाद मैंने 16 अक्टूबर को निरीक्षण किया। इस दौरान 35 डॉक्टर अनुपस्थित पाए गए थे। अनुपस्थित तिथि का वेतन रोकते हुए उन लोगों से शोकॉज पूछा गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। -गौरीकांत मिश्रा, प्राचार्य, जेएनकेटीएमसीएच, मधेपुरा



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