राज्य के दूसरे चरण में 94 सीटों पर 3 नवंबर को होने वाला मतदान भावी सरकार का स्वरूप तय कर देगा। पहले चरण में 28 अक्टूबर को 71 सीटों पर मतदान हो चुका है। दूसरे फेज तक 165 यानी 68% विधानसभा क्षेत्रों में मतदान संपन्न हो जाएगा। तीसरे चरण में पार्टियां बस बहुमत जुटाने के लिए मशक्कत करती दिखेंगी। यहां बता दें कि 243 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किसी भी गठबंधन को 122 सीटों की दरकार होगी।
गठबंधनों के आइने में दूसरे फेज को आंकें तो इसमें भाजपा-जदयू सीटें ही ज्यादा हैं। जदयू के 30 तो भाजपा के 20 सीटिंग विधायक हैं। यानी दूसरे चरण की 94 में से 50 सीटें एनडीए के पास हैं। पिछले चुनाव में दोनों पार्टियां अलग लड़ीं थीं (जदयू-राजद साथ थे) तब यह परिणाम आया था। 2010 के चुनाव में दूसरे चरण में जहां चुनाव हो रहा है, वहां की तस्वीर बिल्कुल अलग थी। तब जदयू-भाजपा साथ थे और दोनों ने 94 में से 82 सीटें जीत ली थीं। राजद बुरी तरह पिछड़ गया था। उसे बस 11 सीटों से संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस का तो खाता भी नहीं खुला था।
2010 में जदयू ने दूसरे चरण की जितनी सीटें जीतीं थीं (46), उससे तीन सीट कम पर इस बार लड़ रही है। इस फेज में जदयू से अधिक सीटें भाजपा लड़ रही है। सहयोगी वीआईपी को जोड़ लें तो भाजपा+ के कैंडिडेट 51 सीटों पर हैं। 2010 और 2015 के परिणाम बताते हैं कि जदयू जिन सीटों पर लड़ रही है उनमें उसने 28 से 31 सीटें दोनों चुनाव में जीतीं है और भाजपा जितनी सीटें लड़ रही है उनमें 20 से 26 सीटें दोनों चुनाव में जीती है। राजद के प्रत्याशी जिन 56 सीटों पर हैं, उनमें से पार्टी ने बीते दो चुनावों में अधिकतम 26 और न्यूनतम 14 सीटें ही जीती हैं।
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