जिस पुलिस पदाधिकारी पर शराबबंदी कानून का मखौल उड़ाते हुए 4 शराब तस्कर को थाना से ही रिहा कर देने का आरोप है तथा जो शराबबंदी उल्लंघन के आरोप में विभागीय कार्रवाई में दोषी पाए गए वह अधिकारी ही एसपी के क्राइम रीडर (अपराध प्रवाचक) बने हुए हैं।
सरकार ने जहां शराबबंदी कानून के उल्लंघन में फंसे पुलिस अफसर पर कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान बना रखा है तथा जांच में निर्दोष पाए जाने तक किसी भी महत्वपूर्ण जवाबदेही से अलग रखने का निर्देश दे रहा है।
ऐसे में सरकार के इस बड़े और महत्वपूर्ण फैसले पर गंभीर और संवेदनशील सवाल खड़ा हो रहे हैं। इस संबंध में पूछे जाने पर बेगूसराय प्रमंडल के डीआईजी राजेश कुमार ने बताया कि इस मामले में आरोप सही पाए जाने पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाऐगी। वे इस मामले को खुद देखेगे।
क्या है मामला: 19 अक्टूबर साल 2017 को मुफ्फसिल पुलिस ने रजौड़ा गांव में सांख सड़क पर शराब से भरी पिकअप वैन को पकड़ा था। इस मामले में मौके पर से ही पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। लेकिन नियमों को ताक पर रख कर चारों आरोपियों को थाना से ही रिहा कर दिया गया। जबकि आरोपियों की विधिवत गिरफ्तारी हुई थी।
जब यह मामला खबरों में आया तब तत्कालीन एसपी आदित्य कुमार ने खुद मामले की जांच कर आरोपों को सही पाया था और मुफ्फसिल थानाध्यक्ष संजय कुमार झा को सस्पेंड किया गया था। विभागीय कार्रवाई के दौरान खगड़ि्या एसपी मीनू कुमारी ने इंस्पेक्टर संजय कुमार झा को इस मामले में दोषी पाया था।
एंटी करप्शन इंडिया के राज्य अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने इंस्पेक्टर को पद से हटाने की मांग की
एंटी करप्शन इंडिया के राज्य अध्यक्ष सह अधिवक्ता वीरेंद्र कुमार कुमार साहू ने शराबबंदी कानून का मखौल उड़ाने वाले और विभागीय कार्यवाही में दोषी पाए गए इंस्पेक्टर सह अपराध प्रवाचक संजय कुमार झा को पद से हटाने की मांग की है। प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन्होंने कहा कि सत्ता और सरकार में बैठे लोगों के कारण शराबबंदी सफल नहीं हो रही है। ऐसे भ्रष्ट अफसरों पर कानून सम्मत कार्रवाई होनी चाहिए।