गणतंत्र की नगरी वैशाली समय के बदलाव के साथ समाजवादियों की प्रयोग भूमि रही है। आजादी के बाद लोहिया, जेपी, कर्पूरी और सत्ता विरोध के प्रतीक रहे। कांग्रेस के खिलाफ हमेशा यहां की धारा रही। 77 के आंदोलन और बाद में मंडल राज के बाद सामाजिक न्याय की धारा के साथ। लालू ने भी राघोपुर को अपना दूसरा घर चुना। राबड़ी यहां से लड़ीं।
जीती भी और हारी भीं। 2015 में तेजस्वी और तेजप्रताप वैशाली जिले के ही राघोपुर और महुआ से चुनाव लड़े व जीते। आठ में से छह सीटों पर महागठबंधन को जीत मिली। रामविलास पासवान भी राजनीतिक क्षितिज पर हाजीपुर से ही चमके और अंत तक यहां की राजनीति के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व भी रहे। चिराग की लोजपा भी वैशाली में जमीन तलाश रही है।
लालगंज और राघोपुर में भाजपा के खिलाफ भी मैदान में प्रत्याशी उतार कर यह कोशिश है कि हम विरोध की राजनीति करते हैं, लेकिन मतदाता इसे बखूबी समझ रहे हैं। महुआ और महनार में जदयू के खिलाफ लोजपा मैदान में है। 2015 में हाजीपुर से भाजपा और लालगंज से लोजपा को सफलता मिली थी। इस बार सभी सीटों पर मुकाबला संघर्षपूर्ण है।
नीतीश को चुनौती दे रहे और बदलाव का नारा लगा रहे तेजस्वी को राघोपुर में भाजपा प्रत्याशी में कड़ा मुकाबला है। राजग वोट को काटने में अगर लोजपा सफल होती है तो तेजस्वी के लिए राह आसान होगी। जबकि लालगंज में पहली बार कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे राकेश कुमार उर्फ पप्पू सिंह को महागठबंधन के साथ-साथ स्वजातीय वोटों पर भरोसा है। यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय है। पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला भी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। राजग की ओर से भाजपा प्रत्याशी संजय सिंह मैदान में हैं।
वैशाली में लोजपा कई जगहों पर मुकाबले को बना रहा त्रिकोणीय। पासवान की ‘पहचान भूमि’ में चिराग की होगी परीक्षा। तेजस्वी को घर में ही घेरने की कोशिश कर रहा एनडीए।
- हाजीपुर विधानसभा: यहां राजद के देवकुमार चौरसिया और भाजपा के अवधेश सिंह के बीच सीधी लड़ाई है। कई प्रत्याशियों के साथ ही भाजपा के बागी अजीत सिंह के साथ वोटों का नुकसान एनडीए को हो सकता है।
- राघोपुर विधानसभा: इस विधानसभा क्षेत्र पर पूरी दुनिया की नजर है। राजद नेता तेजस्वी यादव फिर से यहां मैदान में हैं। इनके सामने भाजपा की ओर से सतीश कुमार हैं। लोजपा ने भी अपना उम्मीदवार राकेश रौशन को उतारा है, लेकिन कांटे की टक्कर राजद और भाजपा में होने की संभावना है।
- महनार विधानसभा: यहां रामा सिंह की पत्नी वीणा देवी राजद प्रत्याशी हैं। इनके सामने जदयू से उमेश कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं। टक्कर इन्हीं दोनों के बीच है। हालांकि रालोसपा के त्रिवेणी चौधरी व लोजपा के रवींद्र सिंह भी मैदान में हैं।
- लालगंज विधानसभा: यहां कांग्रेस के राकेश कुमार पप्पू और भाजपा के संजय सिंह आमने सामने हैं, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मुन्ना शुक्ला के कारण संघर्ष त्रिकोणीय हो गया है। रालोसपा के दिनेश कुशवाहा और लोजपा के राजकुमार साह भी मैदान में हैं।
- वैशाली विधानसभा: यहां जदयू के सिद्धार्थ पटेल और कांग्रेस के संजीव सिंह के बीच सीधा मुकाबला है। यह और बात है कि लोजपा अजय कुमार कुशवाहा उसे त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं।
- महुआ विधानसभा: यहां त्रिकोणीय मुकाबला संभावित है। जदयू की आसमां परवीन, लोजपा के संजय सिंह और राजद के मुकेश कुमार रौशन के बीच टक्कर है।
- राजापाकर विधानसभा: जदयू से महेंद्र राम और कांग्रेस की प्रतिमा दास के बीच सीधी टक्कर है। लोजपा के मृत्युंजय पासवान मृणाल भी यहां से प्रत्याशी हैं।
- पातेपुर विधानसभा: इस बार यहां भाजपा के लखेन्द्र पासवान और राजद के शिवचंद्र राम के बीच सीधी टक्कर है।
विकास, नौकरी की बात हो रही पर सब कुछ जाति पर ही खत्म
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय वैशाली में एनडीए की जीत के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। राजग के लिए इस जिले में लोजपा कई जगहों पर परेशानी का सबब बनी है। महनार में पूर्व सांसद रामा सिंह की पत्नी राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं, जबकि मुख्य मुकाबला जदयू प्रत्याशी उमेश कुशवाहा से है। लोजपा यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है। वैशाली में कोई एक मुद्दा नहीं है।
मुद्दा है कि क्या बदलाव के लिए वैशाली तैयार है या विकास के साथ न्याय के रास्ते पर ही चलेगा। वैशाली जाने के क्रम में हाजीपुर-सुगौली रेलखंड को दिखाते हुए राकेश कहते हैं कि बदलाव और विकास दिखने लगा है। दिवंगत रघुवंश बाबू की अंतिम इच्छा महात्मा बुद्ध के वैशाली में अस्थिकलश लाने की थी, देखिए कब पूरा होगा। विकास, नौकरी, बदलाव की बात हो हो रही है, लेकिन सब कुछ जाति पर ही खत्म हो जाता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today https://ift.tt/35N8baS
from Dainik Bhaskar