बिहार के सभी 38 जिलों में अब जैसा मौसम उसी के अनुरूप खेती

मौसम के अनुसार खेती के दायरे में अब पूरा बिहार आ गया। सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 30 जिलों में कृषि के इस नए तरीके की शुरुआत की; जिन 8 जिलों में यह पहले से चल रही थी, वहां इसका दूसरा चरण शुरू किया। मुख्यमंत्री ने जलवायु परिवर्तन का व्यापक हवाला देते हुए कृषि के मोर्चे पर मौसम के अनुसार खेती को, वक्त की सबसे बड़ी दरकार बताया।

फसल अवशेष (पराली) के सदुपयोग को आमदनी बढ़ाने वाला तथा इसे जलाने को, पर्यावरण के लिए बेहद घातक कहा। इसको रोकने के वास्ते एरियल सर्वे भी कराया जाएगा। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रों की खरीद पर सामान्य किसानों को 75 तथा एससी-एसटी व अति पिछड़े किसानों को 80% अनुदान दिया जा रहा है।

इसलिए पड़ी जरूरत ?

मौसम के बहुत ज्यादा अनियमित होने, यानी बारिश में कड़ी धूप, इसमें देरी या जरूरत के अनुसार कम या ज्यादा बारिश के नहीं होने से फसल और इसका निर्धारित चक्र बिल्कुल गड़बड़ा गया। इससे उत्पादन व उत्पादकता सीधे प्रभावित हुई। घाटा, भारी नुकसान।

योजना के ये होंगे फायदे

1 साल में 3 फसल। 8 जिलों के 40 गांव, जहां पहले से यह तरीका लागू है, इसका गवाह है। मसलन-पहले धान, फिर मूंग, तब गेहूं या चना की खेती। इस नए तरीके का बेसिक है-जो मौसम जिस फसल के अनुरूप है, उस दौरान उसी की खेती की जाए।

जलवायु के अनुकूल क्रॉप साइकिल का चयन

  • फसल कैलेंडर के अनुसार समय पर बुआई {जलवायु के अनुकूल फसल प्रभेद व उत्तम गुणवत्ता का बीज
  • उत्तम बुआई तकनीक जैसे जीरो टिलेज, हैप्पी सीडर, रैज बेड, ड्रम सीडर, पंक्ति में बुआई का उपयोग
  • मिट्‌टी व जलवायु के परिस्थितियों के अनुरूप फसल विविधीकरण
  • हैप्पी सीडर, सुपर सीडर

तेजी से हो रही धान की खरीद

मुख्यमंत्री ने कहा-धान की खरीद का काम तेजी से किया जा रहा है। अबकी खरीद का न्यूनतम लक्ष्य 45 लाख मीट्रिक टन है।



फाइल फोटो
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