पिछले पांच वर्षाें में जिले में महिलाओं का परिवार नियोजन के प्रति आकर्षण बढ़ा है। महिलाएं परिवार नियोजन के सुरक्षात्मक उपायों का 7 गुना अधिक इस्तेमाल करने लगी हैं। स्वास्थ्य विभाग के अांकड़ों के अनुसार, जिले की 55.7 फीसद महिलाओं ने परिवार नियोजन के लिए आधुनिक उपायों को अपनाया है। इसके तहत 45 फीसद महिलाओं ने बंध्याकरण कराया है।
जबकि 66.1 फीसद महिलाओं ने परिवार नियोजन के स्थायी और अस्थायी साधनों का उपयोग किया है। इससे पहले वर्ष 2015 में जिले में महज 9.2 फीसद महिलाएं ही परिवार नियाेजन के स्थायी व अस्थायी साधनाें को अपना रही थीं।
नाबालिग लड़कियाें की शादी में आई 3.6 फीसदी की कमी: जिले में नाबालिग लड़कियाें की शादी में 3.6 फीसदी की कमी अाई है। वहीं मासिक धर्म के समय हाइजिन का स्तर बढ़ाने वाली 15 से 24 साल की महिलाओं की संख्या में 33.6 फीसद की वृद्धि हुई है।
...और संस्थागत प्रसव में भी हुई बढ़ोतरी दर्ज हुई
जिले में विगत पांच वर्षों के दौरान संस्थागत प्रसव में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस कारण टीकाकरण में 19.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। सदर अस्पताल और विभिन्न पीएचसी में प्रसव कराने वाली महिलाओं का प्रतिशत 51 है। वहीं जिले के 12 से 23 महीने के वैसे बच्चे जिन्होंने बीसीजी का टीका जन्म के समय लिया है, उनका प्रतिशत 99.1 पहुंच गया है।
एनीमिया और स्तनपान पर ध्यान नहीं देतीं महिलाएं: जन्म के समय से 6 महीने तक स्तनपान कराने और एनीमिया से बचाव पर महिलाएं अधिक ध्यान नहीं देती हैं। रिपाेर्ट के मुताबिक, जिले में 6 महीने तक नियमित स्तनपान का प्रतिशत 71.9 है, जो पांच साल पहले 78.9 था।
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