86.5% शादीशुदा महिलाएं खुद लेती हैं घर के फैसले; बचत खाता रखने वाली महिलाओं का प्रतिशत 26.4 से बढ़कर हुआ 76.7 फीसदी

बिहार की 86.5 फीसदी शादीशुदा महिलाएं घर के फैसले खुद करती हैं। 5वें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानी एनएचएफएस-5 सर्वे के मुताबिक पिछली बार ऐसी महिलाओं की तादाद 75.2 फीसदी थी। ऐसे कई मामलों में बिहार की रैंकिंग दुरुस्त हुई या उछाल पाई है। समाज कल्याण विभाग के मुताबिक यह सब राज्य सरकार के विभिन्न मोर्चों पर जारी कार्यकलापों का नतीजा है; यह सर्वे इसकी खुली गवाही है।
मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना : इससे जुड़े कार्यों के नतीजे सर्वे में प्रतिबिम्बित है। अपना बचत खाता रखने वाली महिलाओं का प्रतिशत 26.4 से बढ़कर 76.7 फीसदी हुआ। 15 से 24 वर्ष की महिलाओं में स्वच्छता का प्रतिशत 31.0 से बढ़कर 58.8 हुआ।
बाल विवाह एवं दहेज प्रथा : इसके उन्मूलन को चले अभियान का प्रभाव सर्वे में दिखा। 18 से 49 वर्ष की शादीशुदा महिलाओं के बीच दांपत्य हिंसा की घटनाओं में 3 फीसदी की कमी आई। गर्भावस्था के दौरान हिंसा की घटनाएं 2 प्रतिशत कम हुईं। यौन हिंसा की शिकार लड़कियों/महिलाओं (उम्र 18 वर्ष) का प्रतिशत 14.2 से घटकर 8.3 हुआ।
संस्थागत प्रसव में 19.5% वृद्धि
समाज कल्याण विभाग के अनुसार, मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना के चलते संस्थागत प्रसव में 19.5 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती एवं धातृ महिलाओं को पूरक पोषाहार दिया जाता है। सर्वे बताता है कि 5 वर्ष से कम आयु के कम वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 43.9 से घटकर 41.0 हो गया।

आंगनबाड़ी केंद्रों की एक बड़ी जिम्मेदारी जागरुकता की भी है। जारी कोरोना काल के दौरान सेविका/सहायिका एवं अन्‍य पदाधिकारी-कर्मी घर-घर गए। विभाग कहता है- इस कवायद के परिणाम, सर्वे में परिलक्षित हैं। मसलन, 6 माह तक के बच्चों को स्तनपान कराने का प्रतिशत 53.4 से बढ़कर 58.9 हुआ।

प्रजनन दर में आई 0.4 प्रतिशत की कमी

बिहार समेत देश के कई राज्यों में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार एनएफएचएस-4 की तुलना में एनएफएचएस-5 टीएफआर में कमी आई है। यह दर बिहार में 3.4 से कम होकर 3% हो गई है। वहीं मणिपुर में यह दर 2.2% और मेघालय में 2.9% हो गई है। सर्वेक्षण देश के 22 राज्यों में किया गया है। देश के 342 जिलों में 131 इंडिकेटर के आधार पर सर्वे किया गया है।

हालांकि एनएफएचएस-5 में नए क्षेत्रों पर भी फोकस किया गया है, जिसमें बच्चों का टीकाकरण, सूक्ष्म-पोषण, शराब व तंबाकू का उपयोग आदि प्रमुख है। पहली बार सर्वेक्षण गैर-संचारी रोग के बारे में भी आंकड़े जुटाए गए हैं, जिनमें मुख्य रूप से 15 साल से अधिक आयु समूह में मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों के बारे में जानकारी ली गई है। सर्वेक्षण में शामिल 342 जिलों में 70% में 12 से 23 महीने के बच्चों का टीकाकरण किया गया है।




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