स्मार्ट सिटी के 37 करोड़ से सैंडिस कम्पाउंड में हो रहे काम में मिली गड़बड़ी के बाद अब जांच शुरू हो गई है। साेमवार काे पैदल ट्रैक में लगी कच्ची ईंट उखाड़ने का काम शुरू हो गया। इस्तेमाल हाेने वाले मैटेरियल में बालू, सीमेंट, कंक्रीट, छड़ व ईंट के सैंपल जांच के लिए इंजीनियरिंग काॅलेज भेजे गए हैं। जांच रिपाेर्ट के बाद ही अब ईंटें लगाई जाएगी। इधर, सिंघल एजेंसी के डीजीएम रंजन कुमार प्रधान ने अपनी माैजूदगी में कम्पाउंड में बने लैब में बालू और ईंट की जांच की।
सूखी ईंट पर मशीन से प्रेशर देने के बाद हल्की दरार आई, लेकिन कच्ची ईंटों की जांच नहीं हुई। बताते हैं, आखिरी बार 8 दिसंबर काे जांच हुई थी। इसकी रिपोर्ट सही मानी गई थी। यह भी बताया गया कि ईंट की जब आपूर्ति हाेती है, उसकी जांच होती है।
बालू, कंक्रीट और सीमेंट काे मिलाकर मैटेरियल बनाने के बाद जांच होती है। हालांकि एजेंसी का दावा है कि उनकी रिपाेर्ट में बालू की मात्रा तय मानक के अनुसार 12 प्रतिशत तक मान्य है पर हमारे यहां बालू में 6.2 प्रतिशत सिल्ट है, जाे सही है। ईंट की रिपाेर्ट 10 न्यूटन पर एमएम में होनी चाहिए, लेकिन वह भी 11.08 निकला है।
डीजीएम ने भी मान लिया कि कच्ची ईंटों में है खामी
डीजीएम ने भी माना कि कच्ची ईंट में खामियां हैं, पर सूखने के बाद वह मजबूत हाे जाती है। अब पैदल ट्रैक पर लगी ईंट उखाड़कर जमीन काे कंप्रेशर से समतल किया जाएगा, तभी ईंटें बिछेगी। माैके पर पीडीएमसी के दाे इंजीनियर भी माैजूद थे।
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