दुर्घटना से ज्यादा दर्दनाक हुआ इलाज, कई दिनों से पीएमसीएच में टाला जा रहा ऑपरेशन

जूनियर डॉक्टर की हड़ताल की वजह से मरीजों की न तो सही तरीके से जांच हो रही है और न ही ड्रेसिंग, एक्सरे, ब्लड चेकिंग हो रहा है। इससे परेशान मरीज पीएमसीएच से भाग करके आईजीआईएमएस पहुंच रहे हैं। लेकिन, वहां भी भीड़ होने से गंभीर रोगियों के इलाज में भी काफी परेशानी हो रही है। जब दैनिक भास्कर की टीम ने पूर्णिया निवासी कैंसर पीड़ित मो. कमरुद्दीन से बात की, तो वह अपने कैंसर का दर्द छुपाते हुए शायराना अंदाज में बोले, जिंदा रहना है, तो दर्द सहना है।

पीएमसीएच में भर्ती रहते तो मौत हो जाती। इसलिए आईजीआईएमएस चले आए। पीएमसीएच में भर्ती होने के बाद पिछले 20 दिनों में दो बार ऑपरेशन का समय टल गया। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की बात कहते हुए सीनियर डॉक्टर ऑपरेशन के लिए समय ही नहीं दे रहे थे। ऐसे में वह भागकर आईजीआईएमएस पहुंचे। लेकिन, भीड़ अधिक होने से ऑपरेशन में परेशानी हुई। जिसके बाद वे पूर्णिया चले गए। और स्थानीय सांसद से पैरवी करवा करके वे ऑपरेशन के लिए हॉस्पिटल पहुंचे।

भागलपुर के रहने वाले नरेश राम किडनी की बीमारी के लिए शुक्रवार की शाम को पीएमसीएच से आईजीआईएमएस पहुंचे। लेकिन, मरीजों की संख्या अधिक होने से यहां भी डॉक्टर ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं हुए। जिसके बाद वे स्थानीय विधायक से पैरवी करवाने के बाद सोमवार को शाम को आई जीआईएमएस पहुंचे। जहां सुबह छह से 12 बजे तक चार घंटे का वक्त पर्ची कटवाने में लग गया। ऐसे में यदि पीएमसीएच में इलाज होता, तो इतनी दिक्कत नहीं होती।

ऑपरेशन की आस में पिछले 25 दिनों से बेड पर यूं ही पड़ा है घायल राहुल

राहुल कुमार गया में बुलेट से एक्सीडेंट करने के बाद उन्हें पटना पीएमसीएच में रेफर किया गया। पांच दिसंबर की सुबह को इमरजेंसी में एडमिट किया गया। तीन दिन तक रखा गया। इसके बाद 9 दिसंबर को केएल वार्ड में भेजा गया। डॉक्टरों की हड़ताल से अब राहुल कुमार परेशानी बढ़ गई है। मित्र अनुराग कुमार वर्मा के अनुसार डॉक्टरों का कहना है कि हड़ताल नहीं समाप्त होने से ऑपरेशन नहीं कर पाएंगे।

देर होने की वजह से पैर की समस्या बढ़ती जा रही है। जांघ की हड्‌डी टूटी हुई है। बेड पर 26 दिन से लेटे हुए है। जबड़ा भी टूट गया था। तो भोजन करने में दिक्कत हो रही है। हमारा कहना है कि मरीज हित में हड़ताल को समाप्त कर सुविधा पर ध्यान दे।

तीन बार पीएमसीएच जाने के बाद भी नहीं हुआ इलाज

सहरसा की रहने वाली 75 वर्षीय रामवती देवी के आंख में दिक्कत है। 22 से 28 दिसंबर के बीच वह अपने परिजन के साथ तीन बार पीएमसीएच पहुंची। लेकिन, हर बार डॉक्टर मौके पर नहीं मिले। 28 दिसंबर को भी पीएमसीएच में डॉक्टरों ने उनका इलाज नहीं किया।

इसके बाद रामवती देवी अपने बेटे अमित कुमार के साथ सोमवार की शाम को आईजीआईएमएस पहुंच गई। मंगलवार को रामवती को डॉक्टर से दिखाने के लिए उनका बेटा अमित कुमार सोमवार को रात 12 बजे से ही पर्ची कटाने के लिए लाइन में लग गया।

एक्सीडेंट में घायल, समय पर नहीं हुआ इलाज, मौत

मसौढ़ी की रहनेवीली आरती मंगलवार को सुबह एक्सीडेंट में घायल हो गई। रेफर होने के बाद पीएमसीएच में इलाज में देरी होने की वजह से उनकी मौत हो गई। आरती के पति अवनीश कुमार ने कहा, तत्काल इलाज होता, तो आरती की जिंदगी बच सकती थी।

7 दिनों से गायनी में नहीं हुई एक भी डिलीवरी!

पीएमसीएच में सभी वार्ड में बेड की संख्या से आधे से भी कम मरीज ही भर्ती है। हथुआ वार्ड के एलएसडब्लू वार्ड में दिन में सिर्फ एक ही मरीज भर्ती थे। वहीं दूसरी और पीएमसीएच के बड़े वार्ड में शामिल गायनी और सर्जरी वार्ड में भी भर्ती मरीजों की समस्या बढ़ने लगी है।

सर्जरी में ऑपरेशन टाले जा रहे है, तो वहीं गायनी में डिलेवरी टाला जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक पिछले सात दिनों से गायनी विभाग में डिलेवरी नहीं हुई है। हालांकि किसी भी अधिकारी ने इसकी पुष्टि नहीं की है।



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ऑपरेशन की आस में पिछले 25 दिनों से बेड पर यंू ही पड़ा है घायल राहुल
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