स्टाइपेंड की मांग को लेकर गुरुवार को दूसरे दिन भी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी रही। पीएमसीएच में न सिर्फ पहले से भर्ती और नए बीमार मरीजों को डॉक्टरों की कमी का सामना करना पड़ा बल्कि ठीक हो चुके मरीजों को भी बेवजह अस्पताल में रहना पड़ा। क्योंकि उन्हें डिस्चार्ज करने वाला कोई नहीं था।
बेमियादी हड़ताल से डरे परिजन अपने बीमार लोगों को शहर के दूसरे निजी अस्पतालों में लेकर जा रहे हैं। गुरुवार को भी कई ऑपरेशन तो टले ही, कई मरीजों को रेडियोलॉजिकल जांच भी नहीं हो पाई। हां, डॉक्टरों की हड़ताल का फायदा दलालों और बदमाशों को जरूर मिल रहा है। दलाल मरीजों की परेशानी का फायदा उठा रहे है। उनसे निजी अस्पतालों में इलाज और जांच के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। वहीं कुछ लोग जांच के नाम पर ठगी भी कर रहे हैं।
जूनियर डाक्टरों के हड़ताल के कारण मरीजों की देखभाल करने की जिम्मेदारी नर्सों एवं अन्य कर्मचारियों पर काम का प्रेशर बढ़ गया है। लेकिन ट्रामा वार्ड में मरीजों को देखते वक्त कर्मचारी एवं नर्सें मरीजों से जूझती दिखी। गुरुवार को इलाज के अभाव में लीला देवी के पति की मौत हो गई।
30 नवंबर से उनका इलाज पीएमसीएच में चल रहा था। पालीगंज के मखमीलपुर के सुबोध कुमार की बहन पूजा की प्रीमेच्योर डिलेवरी अस्पताल पहुंचते ही हुई, लेकिन समय पर इलाज और सुविधाएं नहीं मिलने के कारण नवजात की मौत हो गई। बहन को कुछ ना हो जाए इस डर से वो उसे निजी अस्पताल में ले गए।
बीत गई पथरी के ऑपरेशन की डेट, अब प्राइवेट का सहारा
जहानाबाद की निशी कुमारी को पथरी का ऑपरेशन कराना था। दो दिन से उसे ऑपरेशन करने का डेट मिला था। पर हड़ताल की वजह से उसका ऑपरेशन नहीं हो सका। निशी की मां रजनी देवी को समझ में नहीं आ रहे हैं कि आखिर वह क्या करें? वहीं हाजीपुर के विनोद चौधरी को बुधवार को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। इलाज नहीं होने पर परिजन उसे प्राइवेट में लेकर चले गए। जहानाबाद के रामबाबू चौहान को भी परिजन निजी अस्पताल में ले गए।
चितकोहरा की हीरा देवी तीन साल के बेटे का एमआरआई कराने आई थी
पटना चितकोहरा की रहने वाली हीरा देवी अपने तीन के बेटे का बजरंगी का एमआरआई कराने के लिए आई थी। बजरंगी तीन साल का हो गया पर अभी तक वह बोलता नहीं है। इसलिए डॉक्टर ने उसे एमआरआई जांच लिखा था। एमआरआई के लिए तीन हजार रुपए लेकर आई थी। एमआरआई कराने पहुंची तो बताया गया कि मशीन काम नहीं कर रहा है। पांच दिन बाद आना होगा। इस बीच के कैंटिन से निकली तो पता चला कि किसी पर्स ही उड़ा लिया है। पर्स में करीब 3150 रुपए थे।
सलाह मिली, लेकिन जांच पर आफत: वहीं सीतामढ़ी की 65 साल की राधा देवी दिखा तो ली। पर चिकित्सक उन्हें एक्स-रे कराने के लिए लिखा था। जब एक्स-रे कराने रेडियोलॉजिकल विभाग पहुंची तो उन्हें बताया गया कि एक्स-रे नहीं होगा। हड़ताल है। दूसरे दिन आइएगा। राधा देवी के संबंधी अरूण साव कहते हैं कि सीतामढ़ी से आए हैं अब एक्स-रे कराने के लिए आना होगा।
कहीं बच्चे की जान खतरे में तो कहीं प्रसूता की हालत नाजुक
छपरा की आरती देवी ने दो बच्चे को जन्म जन्म दिया है। एक बच्चा ठीक है तो दूसरे का मलद्वार नहीं बना है। इस बच्चे को चिकित्सक से दिखाना है। पिता रंजीत कुमार बच्चे को चिकित्सक से दिखाने के लिए परेशान हैं। पर कोई चिकित्सक दोपहर तक नहीं देखा है। मंगलवार को ही छपरा की रहने वाली आशा देवी का बच्चा पेट में मर गया था। बच्चे को निकाल दिया गया। आशा देवी को खून की जरूरत है परिजन दो यूनिट खून दे चुके हैं। और खून मिल जाए इसके लिए इंतजार कर रहे हैं। परिजनों का सवाल है कि डॉक्टरों की जो भी मांग हो हमने तो सही पर्ची कटाई और पूरे पैसे भरे फिर भी हमें इलाज नहीं मिल रहा है।
12 दिनों से भर्ती के बाद भी नहीं हुआ ऑपरेशन, अगले महीने आने की सलाह
आरा के रहने वाले मनोज कुमार पटना के पीएमसीएच हड्डी विभाग मे पिछले 12 दिनों से भर्ती है। उनके पैर में परेशानी है। इस दौरान बुधवार को हड़ताल हो गई। ऐसे में डॉक्टर उन्हें अगले महीने फिर आने की सलाह दे रहे हैं। मनोज कुमार का कहना है कि 12 दिनों के बीच में कई बार उन्हें डॉक्टरों से ऑपरेशन करने की गुहार लगाई थी लेकिन वो लापरवाही दिखाते रहे।
मुस्कान को मिला इमरजेंसी में बेड
जमुई की रहने वाली 14 वर्षीय मुस्कान 13 दिनों से ओपीडी के बाहर पॉलिथीन पर इलाज करवा रही थी उसे गुरुवार को इमरजेंसी में जगह मिल गई। दैनिक भास्कर में 24 दिसंबर को दर्द का सौदा-विभाग और डॉक्टरों के बीच मोलभाव में मुस्कान की एक और रात पन्नी पर कटी, शीर्षक से प्रकाशित की थी। खबर प्रकाशित होने के बाद पीएमसीएच प्रशासन हरकत में आई और गुरुवार को दोपहर में मुस्कान को इमरजेंसी में भर्ती करवाया गया।
झामू के सिर की गांठ और इरफान की आंख की फिक्र किसी को नहीं
अरवल के रहने वाले अशोक कुमार के 13 महीने के इकलौते बच्चे झामू के सर पर गांठ है। वह बुधवार को दोपहर तीन बजे हॉस्पिटल पहुंचे। लेकिन हड़ताल की वजह से गुरुवार को शाम तक कोई डॉक्टर नहीं मिला। बच्चा वार्ड में ढाई साल के इरफान की आंख में दिक्कत है। मां नफीसा खातून अकेली ही बेटे को लेकर पीएमसीएच पहुंची लेकिन उसे भी कोई डॉक्टर नहीं मिला।
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