बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली व भवन निर्माण में हुई कथित गड़बड़ी में फंसे पूर्व कुलपति मेवालाल चौधरी मंगलवार को विजिलेंस कोर्ट में तारीख पर नहीं आए। उनके वकील ने भी हाजिरी दाखिल नहीं की। मेवालाल तारापुर से जदयू विधायक हैं। वे वर्तमान सरकार मेें शिक्षा मंत्री भी बनाए गए थे, लेकिन पद भार ग्रहण करने के महज तीन घंटे में ही उन्हें पद छाेड़ना पड़ा था।
विजिलेंस जज शोभाकांत मिश्रा ने मामले में अगली तारीख एक फरवरी तय की है। बता दें कि इस मामले में विजिलेंस ने अब तक चार्जशीट जमा नहीं की है। रिटायर्ड जस्टिस महफूज आलम कमेटी की जांच रिपोर्ट पर राजभवन के निर्देश बाद सबौर थाने में 2017 में केस दर्ज हुआ था। इसमें डॉ. मेवालाल को मुख्य आरोपी बनाया गया था।
गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने भागलपुर कोर्ट से जमानत मांगी थी। यहां अर्जी रद्द होने के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी। लेकिन 22 मार्च 2017 को केस डायरी के अवलोकन बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा जोड़ी गई। इसके बाद मामला निगरानी की विशेष अदालत में चला गया।
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