विधानसभा की नई कमेटी के गठन के बाद भाजपा के वरीय नेता व पूर्व मंत्रियों को लेकर तरह-तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं। माना जा रहा है कि अब उनका मंत्रिमंडल में प्रवेश की संभावना लगभग खत्म हो गई है। भाजपा ने नंदकिशोर यादव, प्रेम कुमार, रामनारायण मंडल, कृष्ण कुमार ऋषि, विनोद नारायण झा को विधानसभा की महत्वपूर्ण कमेटियों की कमान सौंपी है।
लिहाजा, उनके फिर से नीतीश कैबिनेट में शामिल होने का मामला खत्म माना जा रहा है। वैसे चर्चा यह थी कि भाजपा अपने वरीय नेताओं को नीतीश सरकार में फिर से शामिल करा सकती है। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर जोरआजमाइश भी चल रही थी।
पिछले दिनों नंदकिशोर यादव का नाम विधानसभा अध्यक्ष के लिए भी सामने आया था। चर्चा विनोद नारायण झा और नीतीश मिश्रा की भी हुई। लेकिन, फिर विजय सिन्हा का नाम अचानक से तय हो गया। भाजपा में यह चर्चा भी चल रही थी कि पार्टी नए लोगों को तो आगे करना चाहती है, लेकिन नए और पुराने का समन्वय बनाकर। लेकिन पार्टी के वरीय नेताओं को समिति में शामिल होने के बाद यह कयास ही साबित हुआ।
सुरेंद्र यादव पीएसी, मांझी एससी-एसटी कल्याण के प्रमुख
राजद के सुरेन्द्र प्रसाद यादव लोकलेखा समिति, हरिनारायण सिंह सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, जीतन राम मांझी एससी-एसटी कल्याण समिति, भाई वीरेंद्र बिहार विरासत विकास समिति, अजीत शर्मा प्रत्यायुक्त विधान समिति, रामप्रवेश राय पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण समिति, अरुणा देवी महिला एवं बाल विकास समिति, अमरेन्द्र कुमार पांडेय प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति, सुदामा प्रसाद पुस्तकालय समिति, अनिता देवी पर्यटन उद्योग संबंधी समिति, शमीम अहमद आंतरिक संसाधन एवं केन्द्रीय सहायता समिति, चन्द्रहास चौपाल को शून्यकाल, मो. आफाक आलम अल्पसंख्यक कल्याण समिति व शशिभूषण हजारी आवास समिति के सभापति होंगे।
गैरसरकारी विधेयक समिति का अगुवा तेज
राजद के तेजप्रताप यादव गैर सरकारी विधेयक एवं संकल्प समिति के सभापति बने।
22 में 5 यादव
सभापतियों में 5 यादव, दो-दो भूमिहार, ब्राह्मण, मूसहर, मुसलमान व कुर्मी, चौपाल, पासवान, राजपूत, कहार, तेली, धानुक, हलवाई और नोनिया से एक-एक।
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