ऐ 2020! तुम्हें कैसे याद करूं, तुम्हारे दामन में छिपी हैं बेहिसाब मौतें

नववर्ष की पूर्व संध्या पर गुरुवार को अजगैबीनाथ साहित्य मंच की ओर से गायत्री भवन में कवि गोष्ठी का आयोजन मंच के अध्यक्ष भवानंद सिंह की अध्यक्षता में हुई। संचालन डॉ. श्यामसुंदर आर्य ने की। कार्यक्रम की शुरुआत युवा शायर कुणाल कनौजिया ने- मेरा मन एक उजड़ा हुआ खाली मकान है, ये हादसा मेरे साथ क्यूं हुआ... गजल से की।

भवानंद सिंह प्रशांत ने कविता आईए-आईए संग मुस्कुराइए, दिल मे खुशी मन में उमंग भर जाइए कविता से नए साल का स्वागत किया। बीते साल को विदा करते उन्होंने कहा-ऐ 2020, तुम्हें कैसे याद करूं, तुम्हारे दामन में छिपी है हजारों जुम्बीशें और बेहिसाब मौतें, मैं किसका उपसंहार लिखूं। मनीष गूंज ने अंगिका कविता आबे तोंय कान्हैं नै, लोरो से सतुआ सानै नैय की प्रस्तुति दी।

डॉ. श्यामसुंदर आर्य ने ऐ दिले नादां ठिकाना ढूंढ ले, जीने का कोई बहाना ढूंढ ले कविता पेश की। रामस्वरूप मस्ताना ने अंगिका कविता पेश की। उषाकिरण साहा ने शिव भक्ति पर रचना सुनाई-महादेव देवा अति सुंदर, पार्वती की सूरत है भायी,जोड़ी अति प्यारी गे माई। एम. सलमान बी. ने बेटी की करुण पुकार को अपने शब्दों में बयां करते हुए कहा- क्या हुआ जो लड़की हूं, क्या मुझमें वो जान नहीं।
बाल कवियों ने भी कविता पाठ से बांधा समां
बाल कवयित्री शिवानी ने कहा-मौत कितने रंग बदले, ढंग बदले, जब गये तुम हम न सोए। कुमार आयुष ने कहा-मैं आज मैं होना चाहता हूं, जिन्दगी को आजमाना चाहता हूं। कुमारी ऐंजल ने -मेरा भारत देश महान, जहां फूलों का बिस्तर है और सबको मिलती पहचान की पेश कर देशभक्ति का संदेश दिया। प्रियांशु, सम्राट और हिमांशु ने भी अपनी रचनाओं से समा बांधा।



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Ai 2020! How can I remember you, there are countless deaths hidden in your head
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