भागलपुर में स्पेशल कोर्ट के प्रभार में रहने से फरियादियों को त्वरित न्याय नहीं मिल पा रहा है। एक तरफ केसों का अंबार लगता जा रहा है, दूसरी ओर जजों के पास वक्त की कमी है। जिसके चलते स्पेशल केस के डिस्पोजल की रफ्तार भी धीमी चल रही है। साथ ही सेशन कोर्ट में लंबित केसों में सुनवाई भी मध्यम गति से हो रही है। यह हाल तब है जब पिछले दो साल में जजों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है।
सर्वाधिक केस एक्साइज कोर्ट में, जज सिर्फ एक
भागलपुर में फिलहाल नौ स्पेशल कोर्ट है। पॉक्सो और विजिलेंस के दो-दो कोर्ट हैं। पिछले छह माह में हाईकोर्ट ने एक बड़ा बदलाव करते हुए पॉक्सो केसों की सुनवाई के लिए यहां दो एक्सक्लूसिव कोर्ट बनाए। एडीजे-6 और एडीजे-7 को यह जिम्मेदारी दी गई। पहले एडीजे-1 के पास पॉक्सो केस सुनने की जिम्मेदारी थी। अभी एक्साइज, एससीएसटी, विजिलेंस, एनडीपीएस, सेवन ईसी और फूड से जुड़े स्पेशल कोर्ट हैं। इन कोर्टों की जिम्मेदारी सेशन जजों के पास ही है। सेशन के काम में व्यस्त होने के चलते स्पेशल कोर्ट में लंबित केसों की सुनवाई हाफ डे में करते हैं। इससे सेशन और स्पेशल केसों के फैसले देरी से फरियादियों को मिल रहे हैं।
6 माह पहले पॉक्सो के दो कोर्ट एक्सक्लूसिव कोर्ट बनाए गए, ऐसे ही अन्य कोर्ट बनाना जरूरी
निर्भया कांड के फैसले में हुई देरी के बाद हाईकोर्ट ने पॉक्सो केसों की सुनवाई के लिए दो एक्सक्लूसिव कोर्ट बनाए। भागलपुर में पिछले छह महीने में कोरोना काल के बावजूद कुछ कड़े फैसले भी आए। एडीजे-6 रोहित शंकर और एडीजे-7 एमपी सिंह अभी पॉक्सो के विशेष जज हैं। कई स्पेशल लोक अभियोजकों ने हाईकोर्ट से मांग की है कि पॉक्सो की तरह ही एक्साइज, एससीएसटी, एनडीपीएस, विजिलेंस, 7 ईसी और फूड के लिए एक्सक्लूसिव कोर्ट बनाया जाए तो केसों में जल्दी फैसले आने लगेंगे।
अब केस के निपटारे में आ गई है काफी तेजी
पॉक्सो कोर्ट जब से एक्सक्लूसिव हुआ है, काम में तेजी आई है। एडीजे-6 के कोर्ट में लॉकडाउन के बाद भी दो-तीन कड़े फैसले लिए गए। स्पेशल जजों को पूर्णावधि पावर मिलने से केस निपटारे में तेजी आती है। -शंकर जयकिशन मंडल, स्पेशल पीपी
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