किसी एक सदन के सदस्य रहते दूसरे सदन का चुनाव लड़ना ,फिर इस्तीफा दे देना जनता के पैसे की बर्बादी और मतदाताओं से धोका है
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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सांसदों और मंत्रियों को भी उम्मीदवार बनाया था। इनमें से भाजपा के दो सांसद निशिथ प्रमाणिक और जगन्नाथ सरकार क्रमशः दिनहाटा और शांतिपुर से विधायक निर्वाचित हुए हैं। लेकिन अब दोनों नेता ने पार्टी के निर्देश पर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। दोनों ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी को अपना इस्तीफा पत्र सौंपा है।
अब यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि इन्हें सांसद ही बने रहना था तो फिर इनको भाजपा ने विधानसभा में क्यों उतारा था।अब इनके इस्तीफे की वजह से छः महीने के भीतर इन दोनों द्वारा खाली की गई सीट पर उपचुनाव होंगे और सरकार के दो तीन करोड़ से ज्यादा खर्च होंगे।आखिर यह खर्च तो जनता को ही वहन करना पड़ेगा।ऊपर से इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों को विधायक विहीन रहना पड़ेगा जिसका असर विकास कार्यों पर भी पड़ेगा।
हालांकि एक सदन के सदस्य होते दूसरे सदन का चुनाव लड़ना, एक से अधिक चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड़ना फिलहाल नियम सम्मत है।बड़े नेता अक्सर ऐसा करते हैं।2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी दो दो लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था। पर खुद को पार्टी विथ अ डिफरेन्स और राष्ट्र हितेषी कहने वाली भाजपा द्वारा जनता के पैसे की बर्बादी उसके दोहरे चरित्र को दर्शाती है।
कई सामाजिक संगठन चुनाव आयोग से इस नियम को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।