नहीं रहे मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रभात कुमार,हैदराबाद के निजी अस्पताल में हुई मौत

पटना के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रभात कुमार की कोरोना से हुई मौत
बाबूजी के इलाज के सिलसिले में मैं डॉ प्रभात कुमार से मिला था।उस वक्त वो डॉ ए के ठाकुर के हार्ट हॉस्पिटल के दूसरे नम्बर के चिकित्सक थे। 

वहीं किसी मित्र ने सलाह दी कि हार्ट हॉस्पिटल के पास ही थोड़ी दूर में डॉ प्रभात कुमार का निजी क्लिनिक भी है तो क्यों नहीं उनके निजी क्लीनिक में ही दिखा लेते हैं।उसी colleague ने नम्बर भी लगवा दिया शाम के वक्त जब बाबूजी का नम्बर आया ,उन्होंने जिस आत्मीयता से सारी केस हिस्ट्री पूछी,कुछ आसान से सलाह दिए उसे देख मैं आश्चर्यचकित हुआ।

एक तरफ जिला मुख्यालय में 25-50 मरीज देखने वाले डॉक्टर की ठसक दूसरी ओर राज्य के टॉप और उभरते हुये हार्ट स्पेशलिस्ट का सामान्य,सहज,सरल व्यवहार । उस दिन के बाद दोबारा हमें उनसे मिलने का मौका नहीं मिला पर उनका वह व्यवहार सदा के लिये मानस पटल पर अंकित हो गया।एक अजीब लगाव व इज्जत इनके प्रति बन गयी।

डॉ एके ठाकुर की असामयिक मौत के बाद डॉ प्रभात मगध मेडिका से जुड़कर मरीजों की सेवा करते रहे।हजारों लोग उनके इलाज से लाभान्वित हुये, असंख्य गरीबों को उन्होंने नई जिंदगी दी।कोरोना काल में जब आधे से अधिक डॉक्टर क्लीनिक से दूर होकर टेलीपैथी ट्रीटमेंट दे रहे हैं तो मानव सेवा के इसी जुनून ने ही उन्हें संक्रमित कर दिया। हजारों लोगों के दिलों की धड़कनें जारी रखने में कामयाब रहे डॉ प्रभात की सांसों को पटना के नामचीन अस्पताल और डॉक्टर जारी नहीं रख सके।

उनका हैदराबाद ले जाना तो आखिरी कोशिश थी वरना उनकी सांसे तो पटना में ही थम चुकी थी। जिस प्रभात कुमार के यहां अपॉइंटमेंट मिल जाने भर से कइयों को जीने की आस बंध जाती थी उनकी सांसों को पटना के डॉक्टर वापस नहीं ला सके यह पटना के तमाम चिकित्सक समुदाय के ऊपर काले धब्बे जैसा है।सदमा तब और बढ़ जाता है जब एक साथ तीन तीन हृदय रोग विशेषज्ञों के कोरोना से मौत की खबरें मिलती है।

मैं वैसे एक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव हूं जिनका काम है डॉक्टरों को खुश कर अपने लिए जीविकोपार्जन कमाना।परन्तु डॉ प्रभात कुमार जैसे दक्ष हृदय रोग विशेषज्ञ की इस तरह मौत से मर्माहत हूं, हताश हूं और अंदर गुस्सा भी है ।इसका प्रकटीकरण आवश्यक है कि पैसे के पीछे अंधाधुंध भागने वाले चिकित्सक समुदाय डॉ प्रभात कुमार की मौत पर गमगीन होने की बजाय आत्म मंथन करें। पैसा तो डॉ प्रभात ने भी खूब कमाया होगा पर आज उनकी मौत से लोग इसलिये मर्माहत हैं कि उन्होंने एक डॉक्टर के साथ एक इंसान को खोया है,यही इंसानियत Dr Prabhat जैसे डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देती है।
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